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सोमवार, 6 अक्टूबर 2025

बिहार विधानसभा चुनाव 2025: सत्ता की लड़ाई का महासंग्राम

 क्या इस बार बिहार की सियासत में आएगा भूचाल? जानिए किसका पलड़ा भारी!


बिहार विधानसभा चुनाव 2025: सत्ता की लड़ाई का महासंग्राम

क्या इस बार बिहार की सियासत में आएगा भूचाल? जानिए किसका पलड़ा भारी!








बिहार की राजनीति हमेशा से देश की सियासत का गढ़ रही है। 2025 का विधानसभा चुनाव केवल एक आम चुनाव नहीं, बल्कि सत्ता, जातीय समीकरण और विकास के सवालों का निर्णायक युद्ध है। 243 विधानसभा सीटों पर होने वाला यह संग्राम तीन प्रमुख खेमों के बीच है - नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला एनडीए, तेजस्वी यादव की अगुवाई में महागठबंधन, और प्रशांत किशोर की नई पार्टी जन सुराज।

इस चुनाव में दांव पर केवल सत्ता नहीं, बल्कि बिहार का भविष्य है। आइए जानते हैं कि इस बार की लड़ाई में कौन-कौन से मुद्दे हैं, किसका दांव मजबूत है, और क्यों यह चुनाव बिहार के इतिहास में एक नया अध्याय लिख सकता है।


चुनावी रणभूमि: तीन खेमों की तिकड़ी

एनडीए गठबंधन: अनुभव बनाम चुनौती

बिहार में पिछले 20 वर्षों से सत्ता में रहे एनडीए गठबंधन का नेतृत्व नीतीश कुमार कर रहे हैं। इस गठबंधन में भाजपा और जेडीयू प्रमुख दल हैं, जिनके साथ चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और जीतन राम मांझी की हम पार्टी भी है।

सीट शेयरिंग का गणित:

  • जेडीयू: लगभग 102-103 सीटें
  • भाजपा: लगभग 101-102 सीटें
  • लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास): 25-28 सीटें
  • हम पार्टी: लगभग 6 सीटें

एनडीए का मुख्य चुनावी एजेंडा नीतीश कुमार के शासन के अनुभव, विकास कार्यों और कानून-व्यवस्था पर आधारित है। हालांकि, गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर तनाव भी देखने को मिल रहा है। चिराग पासवान ने 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है, जो गठबंधन में असुविधा पैदा कर रही है।

एनडीए की ताकत:

  • नीतीश कुमार का 20 साल का शासन अनुभव
  • भाजपा का मजबूत संगठनात्मक ढांचा
  • सुशासन और विकास की बात
  • पीएम मोदी ने हाल ही में महिलाओं के लिए 7500 करोड़ रुपये की योजना की घोषणा की

एनडीए की चुनौतियां:

  • 20 साल की सत्ता से उपजी थकान
  • युवाओं में असंतोष और बेरोजगारी
  • सहयोगी दलों के बीच सीट शेयरिंग पर तनाव

महागठबंधन: विपक्ष का एकजुट मोर्चा

तेजस्वी यादव की राजद के नेतृत्व में महागठबंधन में कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं। 2020 के चुनाव में महागठबंधन एनडीए से केवल 12 सीटों से पिछड़ गया था, जिसने इस गठबंधन को मजबूत उम्मीदवार बना दिया है।

2020 के चुनाव परिणाम:

  • राजद: 75 सीटें (सबसे बड़ी पार्टी)
  • कांग्रेस: 19 सीटें
  • वामपंथी दल: मिलकर कई सीटें

2025 के लिए सीट शेयरिंग: महागठबंधन में सीट बंटवारे पर चर्चा जारी है। कांग्रेस 70 सीटों की मांग कर रही है, जबकि विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) 40 सीटों पर अड़ी है। हालांकि, माना जा रहा है कि कांग्रेस को 50-55 सीटें मिल सकती हैं।

महागठबंधन का एजेंडा:

  • रोजगार सृजन
  • युवाओं के मुद्दों पर फोकस
  • विरोधी लहर (एंटी-इनकंबेंसी) का फायदा
  • प्रियंका गांधी ने भूमिहीन परिवारों को जमीन देने का वादा किया
  • राजद ने एनडीए पर सवाल उठाते हुए कहा कि "20 साल में महिलाओं को 10,000 रुपये क्यों नहीं दिए?"

ओपिनियन पोल का संकेत: एक हालिया लोक पोल सर्वे के अनुसार, महागठबंधन को 118-126 सीटें मिल सकती हैं, जबकि एनडीए को 105-114 सीटें मिलने का अनुमान है। राजद को 52 सीटें और कांग्रेस को 10 सीटों पर जीत का अनुमान है।

तेजस्वी यादव ने मुजफ्फरपुर की एक रैली में ऐलान किया था कि "इस बार तेजस्वी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगा।" यह बयान महागठबंधन के आत्मविश्वास को दर्शाता है।


जन सुराज पार्टी: तीसरा मोर्चा

प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने बिहार की राजनीति में तीसरे विकल्प के रूप में प्रवेश किया है। यह पार्टी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है, जो दो-ध्रुवीय चुनावी लड़ाई को तिकोना बना सकती है।

जन सुराज की रणनीति:

  • युवाओं और पहली बार के मतदाताओं को लुभाना
  • पुरानी पार्टियों से असंतुष्ट वोटरों को साधना
  • "बदलाव" और "नई राजनीति" का एजेंडा

यह पार्टी दोनों प्रमुख गठबंधनों के लिए "स्पॉइलर" की भूमिका निभा सकती है, क्योंकि यह वोटों को विभाजित कर सकती है।


प्रमुख चुनावी मुद्दे: जनता क्या चाहती है?

1. बेरोजगारी और युवा असंतोष

बिहार में युवा बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है। महागठबंधन इसे अपने मुख्य हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है, जबकि एनडीए विकास कार्यों की बात कर रहा है।

2. जातीय समीकरण

बिहार में जातीय गणित हमेशा निर्णायक रहा है। यादव, दलित, महादलित, अति पिछड़ा और उच्च जाति के वोटों को साधना हर गठबंधन की प्राथमिकता है।

3. महिला वोटर

महिलाओं को आर्थिक सहायता देने के वादे तेज हो गए हैं। पीएम मोदी की 7500 करोड़ रुपये की योजना बनाम महागठबंधन के वादे।

4. कानून-व्यवस्था

भाजपा और जेडीयू ने राजद पर पुराने "जंगलराज" का आरोप लगाया है, जबकि विपक्ष मौजूदा व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है।

5. विकास बनाम गरीबी

एनडीए ने सड़क, बिजली, और बुनियादी ढांचे के विकास की बात की है। महागठबंधन गरीबी, भूखमरी और असमानता के मुद्दे उठा रहा है।


वोट चोरी विवाद: चुनाव पूर्व का तूफान

हाल ही में एक बड़ा विवाद "वोट चोरी" के आरोपों को लेकर उठा है। चुनाव आयोग ने 24 जून 2025 को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (स्पेशल इंटेंसिव रिविजन) की घोषणा की थी। इसके तहत सभी मतदाताओं को मतदाता सूची में शामिल होने के लिए फॉर्म भरने की आवश्यकता थी।

महागठबंधन ने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया के जरिए उनके वोटरों के नाम हटाए जा रहे हैं। 24 जून 2025 तक मतदाता सूची में शामिल कई नामों को 1 अगस्त 2025 की मसौदा मतदाता सूची में शामिल नहीं किया गया।

महागठबंधन ने उन सीटों पर खास ध्यान देने की योजना बनाई है जहां 2020 के चुनाव में बहुत कम अंतर से हार हुई थी। ऐसी सीटों पर वोटों में छोटा सा बदलाव भी परिणाम को पलट सकता है।


ओपिनियन पोल और अनुमान

लोक पोल सर्वे के अनुसार:

  • महागठबंधन: 118-126 सीटें (बढ़त की संभावना)
  • एनडीए: 105-114 सीटें
  • अन्य और निर्दलीय: 2-5 सीटें

यह आंकड़े बताते हैं कि 2025 का चुनाव 2020 की तरह बेहद करीबी हो सकता है। 2020 में एनडीए ने महागठबंधन को केवल 12 सीटों से हराया था, जबकि दोनों गठबंधनों के वोट शेयर लगभग समान थे।

प्रमुख दलों का अनुमानित प्रदर्शन:

  • राजद: 52 सीटें (सबसे बड़ी पार्टी बन सकती है)
  • भाजपा: सबसे ज्यादा सीटें
  • जेडीयू: एनडीए में दूसरे नंबर पर
  • कांग्रेस: 10 सीटें

चुनाव का समय और तैयारी

बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर या नवंबर 2025 में होने की संभावना है। पिछली विधानसभा के चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2020 में हुए थे।

चुनाव आयोग की तैयारियां:

  • मतदाता सूची का संशोधन पूरा
  • सभी 243 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए तैयारी

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